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अखिलेश यादव ने राष्ट्रकवि रामधारी दिनकर को दी भावपूर्ण श्रद्धांजलि

लखनऊ। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने राष्ट्रकवि रामधारी दिनकर की पुणतिथि पर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजिल दी है। अखिलेश ने कविता ट्वीट कर लिखा है कि “सदियों की ठंढी-बुझी राख सुगबुगा उठी मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो सिंहासन खाली करो कि जनता आती है” । इसके साथ ही उन्होंने लिखा कि राष्ट्रकवि ‘दिनकर’ की ये पंक्तियाँ महापरिवर्तन की ओर बढ़ते भारत का युद्ध घोष हैं।

उनकी पुण्यतिथि पर हमारी भावपूर्ण श्रद्धांजलि। बता दें कि राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर का निधन 24 अप्रैल, 1974 को हुआ था। दिनकर राष्ट्रकवि होने के साथ ही जनकवि भी थे। दिनकर ऐसे कवियों में से हैं जिनकी कविताएं आम आदमी से लेकर बड़े-बड़े विद्वान पसंद करते हैं। देश की आजादी की लड़ाई से लेकर आजादी मिलने तक के सफर को दिनकर ने अपनी कविताओं द्वारा व्यक्त किया है।

दिनकर की कविताओं का जादू आज भी उतना ही कायम है। 23 सितंबर 1908 को बिहार बेगूसराय के सिमरिया गांव जन्मे रामधारी सिंह दिनकर का बचपन घोर संघर्ष में गुजरा। उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से इतिहास, दर्शनशास्त्र और राजनीति शास्त्र की पढ़ाई की। उन्होंने संस्कृत, बांग्ला, अंग्रेजी और उर्दू का गहन अध्ययन किया। मुजफ्फरपुर कॉलेज के हिन्दी के विभाग के वह अध्यक्ष भी रहे। भागलपुर विश्वविद्यालय में दिनकर उपकुलपति भी रहे। 1947 में देश आजाद हुआ तो वह प्रथम संसद के राज्यसभा सदस्य चुने गए और वह 12 वर्षों तक ऊपरी सदन के सदस्य रहे। वह अर्से तक भारत सरकार के हिंदी सलाहकार भी रहे।

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