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भाजपा ने गायक हंस राज हंस को बनाया उम्मीदवार, बीजेपी से नाराज उदित राज ने थामा कांग्रेस का हाथ, राहुल गांधी ने पार्टी में किया उनका स्वागत

नई दिल्ली: दिल्ली के उत्तर पश्चिम लोकसभा सीट से टिकट न मिलने से नाराज बीजेपी नाराज सांसद उदित राज ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया है. बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में सांसद उदित राज कांग्रेस में शामिल हुए. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, उदित राज ने बुधवार को सुबह कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की जिन्होंने पार्टी में उनका स्वागत किया. पिछले लोकसभा चुनाव में उत्तर पश्चिमी दिल्ली सीट से भाजपा के टिकट पर सांसद बने राज को इस बार टिकट नहीं मिला जिसके बाद से वह खुलकर नाराजगी जाहिर कर रहे थे. बता दें कि उदित राज का टिकट काटकर बीजेपी ने हंसराज हंस को टिकट दिया है.

दिल्ली की उत्तर पश्चिम संसदीय सीट से सांसद उदित राज ने मंगलवार को दावा किया था कि उन पर भाजपा छोड़ने का दबाव बनाया जा रहा है. गौरतलब है कि भाजपा ने इंडियन जस्टिस पार्टी के इस पूर्व प्रमुख को लोकसभा चुनाव के लिए इस बार टिकट नहीं दिया है. भाजपा ने उनकी जगह गायक हंस राज हंस को टिकट दिया है. उदित राज इस सीट पर 2014 में विजयी हुये थे. टिकट कटने के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘जब 2018 में एससी-एसटी संशोधन पर बंद आयोजित हुआ, मैंने विरोध किया, इसलिए ही पार्टी नेतृत्व संभवतया मुझसे नाराज हो गया.

जब सरकार की तरफ से कोई भर्ती नहीं हो रही, तो क्या मुझे इस मुद्दे को नहीं उठाना चाहिेये था?. मैं दलितों के मुद्दों उठाता रहूंगा.’ दरअसल, मंगलवार को टिकट नहीं मिलने की आशंका को देखते हुए हंसराज हंस के नाम के ऐलान से पहले ही उत्तर पश्चिमी दिल्ली से बीजेपी (BJP) सांसद उदित राज ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकांउट पर अपने नाम के आगे ‘चौकीदार’ शब्द हटा दिया था. मगर फिर कुछ घंटे बाद ही उन्होंने ‘चौकीदार’ शब्द लगा लिया. ऐसे में अटकलें लगाए जाने लगी थीं कि उदित राज मान गए हैं और वह पार्टी में बने रहेंगे. मगर बुधवार को उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन कर बीजेपी को अपना फैसला सुना दिया.

इससे पहले ट्विटर पर उन्होंने अपने नाम के आगे से चौकीदार शब्द हटाकर सिर्फ डॉ. उदित राज, एमपी ही लिखा था. उदित ने मंगलवार की सुबह कुल तीन ट्वीट किए. पहले ट्वीट में में उन्होंने लिखा, ‘मुझे अब भी उम्मीद है कि मैं अपने निर्वाचन क्षेत्र और भाजपा से नामांकन दाखिल करूंगा जहां से मैंने कड़ी मेहनत की है और खुद को साबित किया है. मुझे उम्मीद है कि मैं खुद बीजेपी छोड़ने को मजबूर नहीं होऊंगा.’ बता दें कि दिल्ली में 12 मई को चुनाव होंगे.

1. क्या मोदी जी के नेतृत्व में आंख मूंदकर विश्वास करते हुए अपनी पार्टी ‘इंडियन जस्टिस पार्टी’ का बीजेपी में विलय कर दिया. अपना दल जैसे छोटी पार्टियां ज्यादा फायदे में रहीं कि जनाधार स्थानीय होने के बावजूद बहुत कुछ लिया.
2. क्या मेरी यह खता थी कि मैं भाजपा में दलित नेता के नाम से जाना जाता रहा और 2014 में जब मैं पार्टी में शामिल हुआ था तो व्यापक जन समर्थन लोकसभा के चुनाव में मिला. क्या पार्टी को जनाधार वाला दलित नेता नहीं चाहिए? क्या मैंने समय-समय पर दलितों की आवाज़ उठाई?
3. क्या मैंने 2 अप्रैल 2018 को दलितों द्वारा भारत बंद का समर्थन करके गलती की? एससी-एसटी एक्ट और रोस्टर पॉइंट के मुद्दे पर भारत बंद किया गया था. क्या महिलाओं के पक्ष में सबरीमाला मंदिर में उनके प्रवेश का समर्थन किया, तो क्या मुझे उसकी सजा मिली और सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने की आवाज़ उठाई.
4. प्रधानमंत्री जी की उपस्थिति में मैंने संसद में सवाल किया था कि उच्च न्यायपालिका गरीब दलित एवं पिछड़ा विरोधी हैं, क्या वह गलती थी?
5. दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सीलिंग के विरोध में सुप्रीम कोर्ट का घेराव क्या गलती थी? मैं हैरान इस बात से हूं कि इनमें से सारे कारण हैं या कौन से कारण हैं? जिसकी वजह से मेरा टिकट काटा?

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