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वर्ल्ड हीमोफीलिया डेः 80% भारतीय इस बीमारी से पीड़ित, सावधानी ही पहला इलाज

आज दुनियाभर में विश्व हीमोफीलिया दिवस मनाया जा रहा है। हीमोफीलिया एक आनुवंशिक रोग है, जिसमें शरीर के बाहर बहता हुआ रक्त जमता नहीं है यानि अगर किसी कारण आपको चोट लग जाए तो खून बहना जल्दी बंद नहीं होता, जोकि जानलेवा भी साबित हो सकता है। हालांकि बहुत कम लोगों को इस बीमारी की जानकारी होती है इसलिए हीमोफीलिया दिवस पर लोगों को इसके बारे में ज्यादा से ज्यादा जागरूक किया जाता है। चलिए आज हम आपको बताते हैं कि क्या हीमोफीलिया और कैसे करें इससे बचाव।
क्या है हीमोफीलिया?
यह एक ऐसा आनुवंशिक रोग है, जिसमें मरीज में खून का थक्का जमाने वाला प्रोटीन फैक्टर आठ नहीं बनता, जिसे क्लॉटिंग फैक्टर भी कहा जाता है। कई बार इस बीमारी की वजह से लीवर, किडनी, मसल्स जैसे इंटरनल अंगों में बिना किसी कारण रक्तस्त्राव होने लगता है।दो तरह की होती है हीमोफीलिया
यह बीमारी दो तरह की हो सकती है, हीमोफीलिया ए और हीमोफीलिया बी। हीमोफीलिया ए में प्रोटीन फैक्टर-8 की कमी होती है, जो जानलेवा भी साबित हो सकती है। वहीं हीमोफीलिया बी में प्रोटीन फैक्टर-9 की कमी होती है।
80% भारतीय है इसके शिकार
शोध के अनुसार, करीब 80% भारतीय इस बीमारी की चपेट हैं, जिसमें ज्यादातर संख्या पुरूषों की है। हीमोफीलिया के मामले में भारत दूसरे नंबर पर है जहां ऐसे 2 लाख केस देखने को मिलेगा, जिसका सबसे मुख्य कारण लोगों में इस बीमारी को लेकर जागरूकता की कमी है। देश में हीमोफीलिया से ग्रस्त केवल 20,000 मरीज रजिस्टर हैं जबकि इस आनुवंशिक बीमारी से कम से कम 2,00,000 लोग पीड़ित हैं।
बीमारी के लक्षण
-यूरिन से खून आना
-दांतों का टूटना या झड़ना
-पाचन संबंधी दिक्क्तें होना
-मुंह और मसूड़ों में रक्तस्त्राव होना
-अक्सर नाक से खून आना
-बार-बार बुखार आना
-पेट के इंटरनल पार्ट्स में इंटरनल ब्लीडिंग होना
-चोट लगने पर लंबे समय तक खून बहना
-शरीर के किसी एक हिस्से में बार-बार नीले चकत्ते पड़ना
-घुटनों, एड़ी, कोहनी आदि में बार-बार सूजन आना
-सूजन वाले स्थान में गर्माहट व चिनचिनाहट महसूस होना
बचाव के तरीके

  • इस बीमारी का कोई सटीक इलाज नहीं है लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखकर इससे बचाव किया जा सकता है।
  • डाइट में ज्यादा से ज्यादा प्रोटीन फूड को शामिल करें।
  • एस्परिन या नॉन स्टेरॉयड दवाओं से परहेज करें। साथ ही हेपेटाइटिस बी का वैक्सिनेशन जरूर लगवाएं।
  • अपनी रूटीन में योग व प्राणायाम को जरूर शामिल करें, जिससे हड्डियां एवं मांसपेशियां मजबूत हो।
  • अगर बच्चे के जन्म से ही इस बीमारी का पता चल जाए तो उसका खास-ख्याल रखें।
  • हीमोफीलिया से पीड़ित व्यक्ति को इससे जुड़ी जानकारी का पता होना चाहिए। साथ ही समय-समय पर इसकी जानकारी से अपडेट होते रहें।
  • घर से बाहर जाते समय इस बात का ख्याल रखें कि ब्लीडिंग होने या ज्वाइंट डैमेज होने पर काम आने वाला जरूरी सामान आपके साथ हो।
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