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आंखों पर पड़ी सूजन हो सकता है इस खतरनाक बीमारी के संकेत

नेफ्रोटिक सिंड्रोम किडनी से जुड़ी एक ऐसी खतरनाक बीमारी है, जो लोगों में तेजी से फैलती जा रही है। इस बीमारी में प्रोटीन यूरिन में मिक्स हो जाता है, जिससे गुर्दे और ग्लोमेरुली झिल्ली खराब हो जाती है। ग्लोमेरुली झिल्ली एक ऐसी छोटी वाहिकाएं हैं, जो खून को फिल्टर करके यूरिन के रास्ते बाहर निकालती है। किडनी को डैमेज करने के अलावा यह सिंड्रोम अन्य कई बीमारियों का कारण भी बन सकती हैं। चलिए आपको बताते हैं कि नेफ्रोटिक सिंड्रोम क्या है और इससे कैसे बचाव किया जाए।
महिलाओं से ज्यादा पुरूषों को है खतरा
वैसे तो यह सभी वर्ग के आयु के लोगों को प्रभावित करती है लेकिन 2 से 6 आयु वर्ष के बच्चों में यह बीमारी सबसे ज्यादा देखने को मिल रही है। इस बीमारी के 90% मरीज बच्चे होते हैं। इसके अलावा यह बीमारी महिलाओं से ज्यादा पुरूषों में देखने को मिलती है।
नेफ्रोटिक सिंड्रोम के कारण
यह बीमारी इंफैक्शन, नशीली दवाओं के संपर्क, वंशानुगत विकार या मधुमेह जैसी अन्य किसी बीमारी के कारण यह सिंड्रोम हो सकता है। इसके अलावा यह बीमारी डायबिटीज, एस.एल. ई. और एमाइलॉयडोसिस आदि के कारण हो सकती है।नेफ्रोटिक सिंड्रोम के लक्षण
सामान्य सूजन
आंखों के नीचे सूजन
कमर, पैर और टखने में सूजन
चेहरे की सूजन
फ्लड रिटेशन की वजह से वजन बढ़ना
भूख की कमी और उच्च रक्त चाप
कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ना
नेफ्रोटिक सिंड्रोम से बचाव
सही आहार
अगर आपको यह सिंड्रोम है तो डॉक्टर की सलाह लें। दवाइयों के साथ-साथ अपनी डाइट में स्वस्थ आहार लें। इसके अलावा अपना डाइट में प्रोटीन से भरपूर चीजों को शामिल करें।नमक की कम मात्रा
शरीर में सुजन हो और पेशाब कम आ रहा हो तो रोगियों को पानी और नमक की मात्रा का सेवन कम करना चाहिए। आप दिनभर में कम से कम 5-6 गिलास पानी ही पीएं।
कोलेस्ट्रॉल को करे कंट्रोल
इस सिंड्रोम के साथ अगर आपको कोई किडनी रोग है तो प्रोटीन की मात्रा को सीमित रखें। साथ ही रक्त कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने के लिए डाइट में फैट का सेवन कम करें।
करवाएं जांच
उपचार शुरू करने से पहले जांच करवा लें कि कहीं आपको पहले से ही कोई इंफैक्शन या कोई और बीामरी तो नहीं है। अगर ऐसा है तो डॉक्टर आपको उसी के हिसाब से दवाइयां व डाइट के बारे में बताएगा।
इंफैक्शन से बचाव
नेफ्रोटिक सिंड्रोम से पीड़ित लोगों को सर्दी, बुखार व अन्य प्रकार के इंफैक्शन होने की संभावना अधिक रहती है। ऐसे में जरूरी है कि आप इससे खुद का बचाव करें।
योग को करे रूटीन में शामिल
अपनी रूटीन में योग को शामिल करें। इससे इस सिंड्रोम को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है।

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