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सुप्रीम कोर्ट ने डांस बार की वैधता पर लगाई मुहर , बार बालाओं को टिप देना भी गलत नहीं , पैसे और सिक्के न उछाले जाएं

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने डांस बार की वैधता के मामले में एक अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने नियमों में बदलाव के साथ डांस बार को मंजूरी दे दी है.  मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा 2016 में लागू किया गया कानून सही है. हालांकि, कोर्ट ने कहा कि डांस में किसी भी तरह की अश्लीलता नहीं होनी चाहिए , पैसे और सिक्के न उछाला जाए . कोर्ट ने डांस बार को लेकर पहले से तय की गई सजा के प्रावधान को भी सही बताया है. एससी (Supreme Court) ने कहा कि बार बालाओं को टिप देना कही से भी गलत नहीं. कोर्ट ने डांस बार (Dance Bar) में शराब परोसने को भी सही बताया है. साथ ही कोर्ट ने स्कूल और धार्मिक संस्थाओं से एक किलोमीटर के दायरे मे रखने के सरकार के आदेश को रद्द कर दिया है.

कोर्ट ने कहा कि मुंबई में एक किलोमीटर का फासला बहुत ज्यादा है. सरकार इसे लेकर फिर से विचार करे. ध्यान हो कि इंडियन होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ने राज्य सरकार के नए एक्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. इस मामले को लेकर सुप्री कोर्ट ने 30 अगस्त 2018 को अपना फैसला सुरक्षित रखा था. इस दौरान महाराष्ट्र सरकार ने कहा था कि डांस बार को लेकर उनका नया नियम पूरी तरह से संवैधानिक दायरे में है. राज्य सरकार के अनुसार यह गैर कानूनी गतिविधियों और महिलाओं का शोषण भी रोकता है. राज्य सरकार ने दलील दी थी कि जीविका कमाने का अधिकारी सभी को है लेकिन राज्य की अपनी जिम्मेदारियां हैं. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के इस कानून को लेकर कहा था कि मुंबई में ऐसा लग रहा है कि मॉरल पुलिसिंग हो रही है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समय के साथ अश्लीलता की परिभाषा भी बदल गई है. कोर्ट ने कहा कि पुरानी फिल्मों में चुंबन और प्यार भरे दृश्यों के लिए दो फूलों का मिलना और दो पक्षियों का चहचहाना दिखाया जाता था. डांस बार मालिकों ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि उनका लाइसेंस रिन्यूवल नहीं हो रहा है. नए लाइसेंस भी नहीं मिल रहे हैं.

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था. सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार ने कहा था कि नया कानून संवैधानिक दायरे में आता है और यह गैर कानूनी गतिविधियों और महिलाओं का शोषण भी रोकता है.कोर्ट ने कहा था कि जीविका कमाने का अधिकार सभी को पर राज्य की जिम्मेदारी है कि सभी के अधिकारों और हितों का भी खयाल रखा जाए. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मुंबई में ऐसा लग रहा है कि मोरल पुलिसिंग हो रही है.  कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार के कड़े नियमों की वजह से मुंबई में एक भी डांस बार का परिचालन नहीं हो पा रहा है.

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