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जानिए कब है उत्पन्ना एकादशी, इस प्रकार है व्रत रखने के नियम, संतान की होगी प्राप्ति

व्रतों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्रत एकादशी का होता है. एकादशी का नियमित व्रत रखने से मन कि चंचलता समाप्त होती है. धन और आरोग्य की प्राप्ति होती है. हार्मोन की समस्या भी ठीक होती है तथा रोग दूर होते हैं. उत्पन्ना एकादशी का व्रत आरोग्य, संतान प्राप्ति तथा मोक्ष के लिए किया जाने वाला व्रत है. माना जाता है कि कैसी भी मानसिक समस्या हो इस व्रत से दूर हो जाती है. यह मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है. इस बार उत्पन्ना एकादशी 03 दिसंबर को मनाई जाएगी.
क्या हैं इस व्रत को रखने के नियम?
– यह व्रत दो प्रकार से रखा जाता है-निर्जल व्रत और फलाहारी या जलीय व्रत.
– सामान्यतः निर्जल व्रत पूर्ण रूप से स्वस्थ्य व्यक्ति को ही रखना चाहिए.
– अन्य या सामान्य लोगों को फलाहारी या जलीय उपवास रखना चाहिए.
– इस व्रत में दशमी को रात्री में भोजन नहीं करना चाहिए.
– एकादशी को प्रातः काल श्री कृष्ण की पूजा की जाती है.
– इस व्रत में केवल फलों का ही भोग लगाया जाता है.
– बेहतर होगा कि इस दिन केवल जल और फल का ही सेवन किया जाए.
क्या करने से बचना चाहिए इस दिन?
– बिना भगवान विष्णु को अर्घ्य दिए हुए दिन की शुरुआत न करें.
– अर्घ्य केवल हल्दी मिले हुए जल से ही दें. रोली या दूध का प्रयोग न करें.
– अगर स्वास्थ्य ठीक नहीं है तो उपवास न रखें. केवल प्रक्रियाओं का पालन करें.
संतान की कामना के लिए आज क्या करें?
– प्रातः काल पति-पत्नी संयुक्त रूप से श्री कृष्ण की उपासना करें.
– उन्हें पीले फल, पीले फूल, तुलसी दल और पंचामृत अर्पित करें.
– इसके बाद संतान गोपाल मन्त्र का जाप करें.
– मंत्र होगा – “ॐ क्लीं देवकी सुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते, देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणम गता “
– पति-पत्नी एक साथ फल और पंचामृत ग्रहण करें.

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