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वित्तमंत्री जेटली ने लिया बड़ा फैसला, तीन मुख्य बैंकों के विलय पर लगी मुहर

लखनऊ : केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बड़ा फैसला लेते हुए तीन बैंकों के विलय की घोषणा की। देना बैंक, विजया बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा के विलय का फैसला किया गया है। योजना की घोषणा करते हुए जेटली ने कहा कि इससे बैंक और मजबूत होंगे तथा उनकी कर्ज देने की क्षमता बढ़ेगी। विलय के कारणों को बताते हुए उन्होंने कहा बैंकों की कर्ज देने की स्थिति कमजोर होने से कंपनियों का निवेश प्रभावित हो रहा है। वित्त मंत्री ने कहा कि कई बैंक नाजुक स्थिति में हैं और इसका कारण अत्यधिक कर्ज तथा फंसे कर्ज (एनपीए) में वृद्धि है।

वित्त मंत्री ने कहा, ‘विलय के बाद अस्तित्व में आनीवाली इकाई बैंकिंग गतिविधियां बढ़ाएंगी।’ एसबीआई की तरह विलय से तीनों बैंकों के कर्मचारियों की मौजूदा सेवा शर्तों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। सरकार की 21 बैंकों में बहुलांश हिस्सेदारी है। इन बैंकों की एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की बैंक परिसपंत्ति में दो तिहाई से अधिक हिस्सेदारी है। हालांकि इसके साथ इन सार्वजनिक बैंकों का फंसे कर्ज में भी बड़ी हिस्सेदारी है। इस डूबे कर्ज के कारण बैंकिंग सेक्टर प्रभावित है और वैश्विक बासेल- तीन पूंजी नियमों के अनुपालन के लिए अगले दो साल में करोड़ों रुपये चाहिए।

वहीं, वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने राजधानी में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि तीनों बैंकों के निदेशक मंडल विलय प्रस्ताव पर विचार करेंगे। ‘इस विलय से परिचालन दक्षता और ग्राहकों की मिलने वाली सेवा बेहतर होगी। उन्होंने कहा कि विलय के बाद अस्तितव में आनेवाला बैंक तीसरा सबसे बड़ा बैंक होगा पैमाने की मितव्ययिता के साथ मजबूत प्रतिस्पर्धी होगा। कुमार ने कहा कि नेटवर्क, कम-लागत जमा और अनुषंगी इकाइयों के मामले में बेहतर तालमेल होगा।

उन्होंने कहा कि कर्मचारियों के हितों तथा ब्रैंड इक्विटी का संरक्षण किया जाएगा। कुमार ने कहा कि देना बैंक, विजया बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा के पूंजी समर्थन सुनिश्चित किया जाएगा। तीनों बैंक विलय के बाद स्वतंत्र रूप से काम करते रहेंगे।

अभी देश में बैंक ऑफ बड़ौदा के 5,502, विजया बैंक के 2,129 और देना बैंक के 1,858 ब्रांच हैं। इनके विलय के बाद नए बैंक के 9,489 ब्रांच हो जाएंगे। इसी तरह बैंक ऑफ बड़ौदा के अभी 56,361 कर्मचारी, विजया बैंक के 15,874 कर्मचारी और देना बैंक के 13,440 कर्मचारी हैं। इन्हें मिलाकर नए बैंक में कुल कर्मचारियों की संख्या 85,675 हो जाएगी। इसके साथ ही, नए बैंक का कुल बिजनस 14 लाख 82 हजार 422 करोड़ रुपये का हो जाएगा।

गौरतलब है कि इससे पहले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के सहयोगी बैंकों का एसबीआई में विलय किया जा चुका है। दरअसल, सरकार महसूस कर रही है कि कुछ बैंकों के संचालन लागत के मुकाबले फायदे कम हैं, इसलिए बैंकों के विलय को लेकर लगातार विचार-विमर्श होता रहा है। इसी क्रम में सोमवार को सरकार ने इन तीनों बैंकों के विलय का ऐलान कर दिया।

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