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RSS प्रमुख ने की कांग्रेस की तारीफ, कहा संघ को जानना हो तो संघ में आ कर देखिये

लखनऊ-नई दिल्ली : आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कांग्रेस की तारीफ करते हुए बड़ा बयान दिया है. आजादी की लड़ाई में कांग्रेस की भूमिका की तारीफ की है.कहा है कि कांग्रेस की बदौलत देश की स्वतंत्रता के लिए सारे देश में में एक आंदोलन खड़ा हुआ. उस वक्त कांग्रेस से जुड़कर देश की आजादी में योगदान देने वाले त्यागी महापुरूषों की प्रेरणा आज भी लोगों के जीवन को प्रेरित करती है.

संघ के बारे में व्यापक जागरूकता फैलाने के लिए यहां आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम ‘‘भविष्य का भारत : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण’’ के पहले दिन मोहन भागवत ने संघ की शुरुआत और उसके कामकाज के तरीके को लेकर विस्तार से जानकारी दी और कहा कि संघ के जैसा संगठन दुनिया में दूसरा नहीं है. भागवत ने संघ की कार्यप्रणाली की जानकारी देने के साथ ही उन मसलों पर भी राय रखी. जिन्हें लेकर अक्सर उस पर सवाल उठाए जाते हैं.

संघ प्रमुख ने करीब डेढ घंटे के संबोधन में यह साफ किया कि उनका संगठन अपना प्रभुत्व नहीं चाहता. उन्होंने कहा, “अगर संघ के प्रभुत्व के कारण कोई बदलाव होगा तो यह संघ की पराजय होगी . हिन्दू समाज की सामूहिक शक्ति के कारण बदलाव आना चाहिए.” भाजपा पर रिमोट कंट्रोल से नियंत्रण और संघ में महिलाओं की कम भागीदारी को लेकर उठाए जाने वाले सवालों पर भी मोहन भागवत ने स्थिति स्पष्ट की. भागवत ने अपने संबोधन में सरकार या किसी संगठन का नाम नहीं लिया.

सरकार और संघ के बीच समय-समय पर होने वाली समन्वय बैठकों का परोक्ष तौर पर जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि समन्वय बैठक इसलिये होती है कि स्वयंसेवक विपरीत परिस्थितियों में अलग अलग क्षेत्रों में काम करते हैं . ऐसे में उनके पास कुछ सुझाव भी होते हैं. वे अपने सुझाव देते हैं,

क्या कहा कांग्रेस के बारे में
भागवत ने कहा कि कांग्रेस के रूप में देश की स्वतंत्रता के लिए सारे देश में एक आंदोलन खड़ा हुआ, जिसके अनेक सर्वस्वत्यागी महापुरूषों की प्रेरणा आज भी लोगों के जीवन को प्रेरित करती है. सरसंघचालक ने कहा कि 1857 के बाद देश को स्वतंत्र कराने के लिये अनेक प्रयास हुए, जिनको मुख्य रूप से चार धाराओं में रखा जाता है . कांग्रेस के संदर्भ में उन्होंने कहा कि एक धारा का यह मानना था कि अपने देश में लोगों में राजनीतिक समझदारी कम है. सत्ता किसकी है, इसका महत्व क्या है, लोग कम जानते हैं और इसलिये लोगों को राजनीतिक रूप से जागृत करना चाहिए . भागवत ने कहा, ‘‘ और इसलिये कांग्रेस के रूप में बड़ा आंदोलन सारे देश में खड़ा हुआ. उन्होंने कहा कि इस धारा का स्वतंत्रता प्राप्ति में एक बड़ा योगदान रहा है.

सरसंघचालक ने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश में योजनाएं कम नहीं बनी, राजनीति के क्षेत्र में आरोप लगते रहते हैं, उसकी चर्चा नहीं करूंगा, लेकिन कुछ तो ईमानदारी से हुआ ही है. सरसंघचालक ने कहा कि देश का जीवन जैसे जैसे आगे बढ़ता है, तो राजनीति तो होगी ही और आज भी चल रही है.सारे देश की एक राजनीतिक धारा नहीं है. अनेक दल है, पार्टियां हैं.इसके विस्तार में जाए बिना उन्होंने कहा, ‘‘ अब उसकी स्थिति क्या है, मैं कुछ नहीं कहूंगा . आप देख ही रहे हैं .’’ भागवत ने कहा, ‘‘ हमारे देश में इतने सारे विचार हैं,लेकिन इन सारे विचारों का मूल भी एक है और प्रस्थान बिंदु भी एक है. विविधताओं से डरने की बात नहीं है, विविधताओं को स्वीकार करने और उसका उत्सव मनाने की जरूरत है.’’उन्होंने कहा कि विविधता में एकता का विचार ही मूल बिंदु है और इसलिये अपनी-अपनी विविधता को बनाए रखें और दूसरे की विविधता को स्वीकार करें.

संघ तोड़ता नहीं जोड़ता है
भागवत ने इसके साथ ही संयम और त्याग के महत्व को भी रेखांकित किया.सरसंघचालक ने कहा कि संघ की यह पद्धति है कि पूर्ण समाज को जोड़ना है और इसलिये संघ को कोई पराया नहीं, जो आज विरोध करते हैं, वे भी नहीं . संघ केवल यह चिंता करता है कि उनके विरोध से कोई क्षति नहीं हो ।

विज्ञान भवन में हो रहे इस कार्यक्रम में सोमवार को कुछ केंद्रीय मंत्रियों के अलावा अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी, फिल्मकार मधुर भंडारकर, अन्नू कपूर, मनीषा कोइराला जैसे बालीवुड के कलाकार भी मौजूद थे.

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