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जन्माष्टमी : यदुनन्दन , राधा के श्‍याम और भक्‍तों के भगवान श्रीकृष्‍ण का जन्‍मदिन आज और कल पूरे देश में मनाया जा रहा।

लखनऊ : हम सब के प्‍यारे नटखट नंदलाल, राधा के श्‍याम और भक्‍तों के भगवान श्रीकृष्‍ण के जन्‍मदिन की तैयारियां पूरे देश में चल रही हैं. इस बार श्रीकृष्‍ण की 5245वीं जयंती है. मान्‍यता है कि भगवान श्रीकृष्‍ण का जन्‍म भाद्रपद यानी कि भादो माह की कृष्‍ण पक्ष की अष्‍टमी को हुआ था. हालांकि इस बार तारीख को लेकर लोगों में काफी असमंजस में हैं. इस बार जन्‍माष्‍टमी दो दिन पड़ रही है क्‍योंकि यह त्‍योहार 2 सितंबर और सितंबर दोनों ही दिन मनाया जाएगा. वहीं, वैष्‍णव कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी 3 सितंबर को है. अब सवाल उठता है कि व्रत किस दिन रखें? जवाब है 2 सितंबर यानी कि पहले दिन वाली जन्माष्टमी मंदिरों और  घरों  पर मनाई जाती है. 3 सितंबर यानी कि दूसरे दिन वाली जन्माष्टमी वैष्णव सम्प्रदाय के लोग मनाते हैं. श्रीकृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी का पूरे भारत वर्ष में विशेष महत्‍व है. यह हिन्‍दुओं के प्रमुख त्‍योहारों में से एक है. ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्‍णु ने श्रीकृष्‍ण के रूप में आठवां अवतार लिया था.  देश के सभी राज्‍य अलग-अलग तरीके से इस महापर्व को मनाते हैं. इस दिन क्‍या बच्‍चे क्‍या बूढ़े सभी अपने आराध्‍य के जन्‍म की खुशी में दिन भर व्रत रखते हैं और कृष्‍ण की महिमा का गुणगान करते हैं. दिन भर घरों और मंदिरों में भजन-कीर्तन चलते रहते हैं. वहीं, मंदिरों में झांकियां निकाली जाती हैं और स्‍कूलों में  श्रीकृष्‍ण लीला का मंचन होता है.

इस बार अष्टमी 2 सितंबर की रात 08:47 पर लगेगी और 3 तारीख की शाम 07:20 पर खत्म हो जाएगी.
अष्‍टमी तिथि प्रारंभ: 2 सितंबर 2018 को रात 08 बजकर 47 मिनट.
अष्‍टमी तिथि समाप्‍त: 3 सितंबर 2018 को शाम 07 बजकर 20 मिनट.

रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ: 2 सितंबर की रात 8 बजकर 48 मिनट.
रोहिणी नक्षत्र समाप्‍त: 3 सितंबर की रात 8 बजकर 5 मिनट

जो भक्‍त जन्‍माष्‍टमी का व्रत रखना चाहते हैं उन्‍हें एक दिन पहले केवल एक समय का भोजन करना चाहिए. जन्‍माष्‍टमी के दिन सुबह स्‍नान करने के बाद भक्‍त व्रत का संकल्‍प लेते हुए अगले दिन रोहिणी नक्षत्र और अष्‍टमी तिथि के खत्‍म होने के बाद पारण यानी कि व्रत खोल सकते हैं. कृष्‍ण की पूजा नीशीत काल यानी कि आधी रात को की जाती है

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